ढलती उम्र का जिक्र करते हैं
■ आज मेरे ज़मीं पर नहीं हैं क़दम।।😊😊
ग़ज़ल/नज़्म - उसकी तो बस आदत थी मुस्कुरा कर नज़र झुकाने की
हां मैं पारस हूं, तुम्हें कंचन बनाऊंगी
भारत मां की लाज रखो तुम देश के सर का ताज बनो
जिसकी भी आप तलाश मे हैं, वह आपके अन्दर ही है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
स्वयं को तुम सम्मान दो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
जीवन में कभी भी संत रूप में आए व्यक्ति का अनादर मत करें, क्य
तुमसे ही से दिन निकलता है मेरा,