आज एक माँ सब पे भारी हो रही है।
घर घर में ये बीमारी हो रही है
आज एक माँ सब पे भारी हो रही है।
दर्जनों का पेट पाला जिसने,
रोते हँसतों को संभाला जिसने
ख़ुद बाद में खाया,
पहले अपने बच्चों को दिया निवाला जिसने…
भूख से उसकी लाचारी हो रही है।
आज एक माँ सब पे भारी हो रही है।
बेटे सरकारी नौकरी में हैं पर वो दिल से तंग हैं
माँ की Side वो नहीं, वो बीवी के संग हैं।
बेटे के मुँह से बहु की ख़ूब तरफ़दारी हो रही है।
आज एक माँ सब पे भारी हो रही है।
पूरा परिवार AC में सोता है
माँ के हाथ में कागज़ का इक गत्ता होता है।
माँ के कमरे में आग है, उनके कमरे में बर्फ़बारी हो रही है।
आज एक माँ सब पे भारी हो रही है।
ठंड में उनके कमरे में हीटर है
और माँ के लिये?
ना-ना बढ़ता बिजली का मीटर है।
हाये अपनी जान कितनी प्यारी हो रही है?
आज एक माँ सब पे भारी हो रही है।
माँ ही तुझे दुनिया में ले के आई थी,
अरे बीवी तो कल तेरी दुनिया में आई थी?
तेरी ये Body, तेरी ये जवानी माँ के दूध ने बनाई थी
तुझे नौकरी भी तो उसकी ही दुआओं से ही मिल पाई थी।
आज इसको ही घर से निकालने की ख़बरें जारी हो रही हैं।
आज एक माँ सब पे भारी हो रही है।
आज तुम माँ के साथ ऐसा कर रहे हो,
कल को तुम्हारी औलादें तुम्हारे साथ ऐसा करेगी।
कल तुम्हे याद आयेगी आज की
लेकिन तुम्हे फीर से ये माँ ना मिलेगी।
कहे “सुधीरा” इधर-उधर ख़ूब दुनियादारी हो रही है।
उधर एक माँ सब पे भारी हो रही है।
रचनाकार- #सुधीरा #sudhiraa