” आज उमड़ जाने दो “
पलकों पर रुका है सागर जो ,
उसे आज उमड़ जाने दो.
कि इस ज्वार को रोको नही ,
उसे आज मचल जाने दो .
ये जो लहरें बावरी सी हो ,
मचल रही गगन से मिलने को .
कि आज इन लहरों को ,
गगन से मिल जाने दो.
भावनाओं की दरिया को ,
आज बह जाने दो .
कि मन तरंगो को रोको नही ,
उसे आज उन्मुक्त हो जाने दो .
…निधि …