Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Oct 2021 · 2 min read

आज अचानक जीवन मेरा हो उठा हायॐ पराया रे

आज अचानक जीवन मेरा हो उठा हायॐ पराया रे

पल वो जेहन में है कौंधा जिसने स्वप्न दिखाये थे।
अथक परिश्रम करके हारा फिर भी सपनों से हारा।

वर्षा‚ जाड़ा‚ गर्मी सारा मन – तन‚ पर झेला था।
सुविधाओं की त्याग ललक को कर्म और कत्र्तव्य किया।

पास दृष्टि के विधिवत रक्खा लक्ष्य लाल से इंगित कर।
डाल हाथ में हाथ मूर्तिवत कभी मौन मैं रहा नहीं।
कभी न सकुचाए अन्तर से कर्मभूमि में मै उतरा।
बार–बार कर भेद तर्क को मैं दिमाग को परे रखा।
दिल दिमाग के तीक्ष्ण द्वन्द्व में मैंने दिल का साथ दिया।
आंखों से कहकर मैंने ही इस दिमाग को मनवाया।

मौन‚ और विद्रोही होकर मैनै मुझको छोड़ा था।
अब जब कौंध रहा है सब कुछ विवश मैं शीश झुकाए रे।
‘मैं ‘ अब उद्धत मुझे छोड़कर जाने को आतुर सा हूँ।
पुनः द्वार पर आया देखूँ ‘ मै’ं मुझको मंत्र सिखाने को ।
चाहत को अनजाना कह दूँ नज़र चुराकर विदा करूँ।
और रूलाई‚ क्षोभ‚ लोभ सब दूर हटे कुछ सदा करूँ।

पंखों वाली चिड़िया के पर कुतर दिये थे मैंने ही।
सारे नभ को चीर–चार कर नष्ट किये थे मैंने ही।

अब उड़ान जैसे शब्दों का अर्थ समझ के करना क्या?
पथ‚पथचर जैसे शब्दों का अर्थ समझ के करना क्या?

अंधियारों की बस्ती में आकर ढूँढ़ उजाला थक जाना।
खुद का शव खुद ही घसीटना और हाँफना‚थक जाना।

किरन नहीं अब कहीं दिखेगा और नहीं बिखरेगा ही।
जिसको विधि ने विधिवत् सौंपा‚सोचाॐयही करेगा क्या?

आज अचानक जीवन मेरा हो उठा हायॐ पराया रे ॐ
अरूण प्रसाद

Language: Hindi
150 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
शेखर सिंह
प्यारी-प्यारी सी पुस्तक
प्यारी-प्यारी सी पुस्तक
SHAMA PARVEEN
तय
तय
Ajay Mishra
बोलती आँखें
बोलती आँखें
Awadhesh Singh
Ishq - e - Ludo with barcelona Girl
Ishq - e - Ludo with barcelona Girl
Rj Anand Prajapati
भाव और ऊर्जा
भाव और ऊर्जा
कवि रमेशराज
दूर क्षितिज तक जाना है
दूर क्षितिज तक जाना है
Neerja Sharma
लोग ऐसे दिखावा करते हैं
लोग ऐसे दिखावा करते हैं
ruby kumari
बुंदेली दोहा-बखेड़ा
बुंदेली दोहा-बखेड़ा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
'हाँ
'हाँ" मैं श्रमिक हूँ..!
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
आदम का आदमी
आदम का आदमी
आनन्द मिश्र
बेशर्मी
बेशर्मी
Sanjay ' शून्य'
प्यारी बहना
प्यारी बहना
Astuti Kumari
विश्वास
विश्वास
Dr fauzia Naseem shad
सुख मिलता है अपनेपन से, भरे हुए परिवार में (गीत )
सुख मिलता है अपनेपन से, भरे हुए परिवार में (गीत )
Ravi Prakash
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
सौ रोग भले देह के, हों लाख कष्टपूर्ण
सौ रोग भले देह के, हों लाख कष्टपूर्ण
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रामचरितमानस
रामचरितमानस
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
चाँद नभ से दूर चला, खड़ी अमावस मौन।
चाँद नभ से दूर चला, खड़ी अमावस मौन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
✒️कलम की अभिलाषा✒️
✒️कलम की अभिलाषा✒️
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
हमें ईश्वर की सदैव स्तुति करनी चाहिए, ना की प्रार्थना
हमें ईश्वर की सदैव स्तुति करनी चाहिए, ना की प्रार्थना
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"अभिलाषा"
Dr. Kishan tandon kranti
■सामान संहिता■
■सामान संहिता■
*प्रणय प्रभात*
कर क्षमा सब भूल मैं छूता चरण
कर क्षमा सब भूल मैं छूता चरण
Basant Bhagawan Roy
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें,
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें,
DrLakshman Jha Parimal
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
अब किसी की याद पर है नुक़्ता चीनी
अब किसी की याद पर है नुक़्ता चीनी
Sarfaraz Ahmed Aasee
बाल कविता: चूहा
बाल कविता: चूहा
Rajesh Kumar Arjun
दहलीज़ पराई हो गई जब से बिदाई हो गई
दहलीज़ पराई हो गई जब से बिदाई हो गई
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Loading...