आजादी का शुभ दिन
आजादी का ये शुभ दिन याद दिलाने आया है
इस आजादी को पाने में कितनो ने शीश कटाया है।
मोहब्बत इतनी ज्यादा थी माटी के मतवालों को
शून्य से शिखर तक सारा इस पर लुटाया है।।
ना जाने कितने नायक थे इस स्वर्ण काल को लाने वाले
खुद को खोकर भी आजादी की मशाल जलाने वाले।
अनगिनत है वो योद्धा इतिहास उन्हें देख ना पाया
कण कण से क्राँति उठी इसको कोई रोक ना पाया।।
कड़ी से कड़ी जुड़कर वो बड़ा कारवाँ बनता गया।
सीने में धधकी आजादी की ज्वाला वो शोला बनता गया।।
काट दिया बन्धन उन जंजीरों का जिसने मजबूर किया।
उखाड़ कर गुलामी की जड़ो को उनका घमंड चूर किया।।
हुआ शंखनाद स्वतंत्रता का धरा गगन सब झूम उठा।
टूटे सब बंधन खुले आसमा में उड़ने का हुजूम उठा।।
जब ये दिन लौट के आता हैं पुराने घाव हरे कर जाता है।
जो लौट के वापिस घर ना आये उनकी याद दिला जाता है।।
धन्य हैं माँ भारती जो तूने ऐसे शेरो को को पाला हैं।
कोई आँख उठा के देख ना पाए तेरा सपूत रखवाला है।।
देशप्रेम का दिया सबके सीने में जलाने आया है।
आजादी का ये शुभ दिन याद दिलाने आया है।।
जितेन्द्र गहलोत ‘धुम्बड़िया’…✍️