आजादी का यार
कर देते कुछ लोग यदि, कुर्सी का परित्याग ।
होते भारतवर्ष के ,कभी नहीं दो भाग ।।
समझ गया वो मायने, आजादी का यार ।
खोला मैंने हाथ से, पिंजर का को द्वार ।।
रमेश शर्मा.
कर देते कुछ लोग यदि, कुर्सी का परित्याग ।
होते भारतवर्ष के ,कभी नहीं दो भाग ।।
समझ गया वो मायने, आजादी का यार ।
खोला मैंने हाथ से, पिंजर का को द्वार ।।
रमेश शर्मा.