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17 Sep 2019 · 1 min read

आजादी का भरते दम***

मोहन ने कहा आजाद,
चौहान ने कर लिया विवाद।
कौन कहता है कि हम आजाद हुए,
हर दिन छुआछूत का शिकार हुए।
आराध्य स्थल मेंरोज विवाद हुए,
समानता से रोज दूर हुए।
मन मसोक कर समझाते,
प्रतीदिन नील कंठ बन जाते
अमृत की आस में,
हर दम सहन कर जाते।
कब तक आस लगाए बैठे,
शिक्षित ही करते दुर्व्यवहार।
साल में एक बार,
आजादी का जश्न मनाते।
फूट-फूटकर रोते हम,
शोषण करता को नहीं गम।
आजाद देश का भरते दम,
खुशियों का फोड़ते बम।
नारायण अहिरवार
अंशु कवि
सेमरी हरचंद होशंगाबाद
मध्य प्रदेश

्््््््््््््््््््््््््््््््््

Language: Hindi
1 Like · 225 Views
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