आजादी का पर्व
आजादी का पर्व है आया आजादों की गोली से
कितनों ने श्रृंगार किए हैं लाल रक्त की रोली से
भारत माता की जयकर लाखों शीशे कट जाते हैं
उन्ही कटे शीशों को कोई आतंकी का जाते हैं
जलियांवाले बाग को जिसने रक्त रंजित कर डाला था
बूढ़े बच्चों और जवानों को गोली से मारा था
बड़े तवज्जो दिए थे अंग्रेजो ने जिसे डायर को
उधम सिंह ने लंदन जाकर मारा था उसे कायर को
अशफाक उल्ला रोशन सिंह की बलिदानी का चोला है
बिस्मिल शेखर और मंगल ने अपना जीवन तोला है
भगत सिंह के फांसी वाले फंदे की फरियाद है
वीर शिरोमणि सांवरकर काला पानी की याद है
हमें बचा कर रखना इसको ड्रैगन जैसे गुंडो से
सरहद पर चुपके से घुसने वाले गीदड़ झुंडों से
कुछ बैठे हैं देश के अंदर दीमक जैसा खाते हैं
भारत माता मुरादाबाद के नारे रोज लगाते हैं
ऐसे गद्दारों को अब रंगना है खून की होली से
आजादी का पर्व है आया आजादों की गोली से
-पर्वत सिंह राजपूत (अधिराज )