*****आज़ादी*****
आज़ादी की अमर कहानी
वीर सपूतों ने सिखलाई
मातृभूमि की रक्षा के लिए
माटी रक्त से रंग आई
शहीदों की वो थी कुर्बानी
बच्चे बूढ़े सबकी ज़ुबानी
दमक उठा हर कोना कोना
देश की माटी,चंदन सोना।
सरहद पर थे सिपाही खड़े
थे जीवन मृत्यु से परे लड़े
बेडियों को काट गिराया
स्वतंत्रता का वो उजियारा
रक्त से था दीप जलाया
तमस,अंधकार दूर भगाया
रोशन लौ कर गए बलिदानी
शौर्यवीर थे वो अभिमानी
भाल ना कभी झुकने देना
अबाध गति न रुकने देना
आज़ादी अमूल्य समर्पण सा
कर्म,बन्धन,आत्मदर्पण सा
भूल भेदभाव जाति पाति
शांति,सद्भाव को मूल बनायें
वीर शहीदों की ये गाथा
आओ मिलकर सबको सुनायें
आज़ादी की इस कीमत को
अंजाने कभी भूल न जाना
सत्य,अहिंसा के पथ पे चलके
मातृभूमि की शान बढाना।।
✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक