आज़ादी !
आज़ादी…
सुना है खून के बदले
मिलती है आज़ादी
पर किसका खून
स्वाभिमान का
आत्मसम्मान का
या नन्ही सी जान का
आज़ाद होने के लिए
ज़रूरी मरना होगा
सब कुछ सहना होगा
क्यों खून ही दे हमें आज़ादी
क्या प्रेम की क़ीमत
इतनी घटा दी
चलो मिलकर
कोशिश करते हैं
आज़ादी कहाँ है
खोजें , ढूंढते हैं
जो रात को बेटी सुरक्षित लौटे
तो है आज़ादी
जो धन बराबरी में बाँटे
तो है आज़ादी
जो शिक्षा हो हर घर
तो है आज़ादी
जो अनाज हो हर दर
तो है आज़ादी
जो भ्रष्टाचार का हो ख़ात्मा
तो है आज़ादी
जो चैन की नींद सो पाए अम्मा
तो है आज़ादी
जो नारी कर सके अपने मन की
तो है आज़ादी
जो बोली न लगे इस तन की
तो है आज़ादी
आज़ादी नहीं भ्रान्ति
न ही ये मन की शांति
ये तो एक चेतना है
जिसका सही मायने
तुझको मुझको
हम सबको समझना है
रेखांकन।रेखा