आजमा रहा हूँ
मुफ्तखोरी के सपने दिखा रहा हूँ
लत बुरी ये अवाम को लगा रहा हूँ।
क्या पता फ़िर झांसे में आ जाए
जनता को भाषणों से भरमा रहा हूँ।
बिजली,पानी,सड़कें,शिक्षा के साथ
फ़ोन,स्कूटी लैपटॉप दिलवा रहा हूँ ।
बस ये चुनाव तक चिल्लाता रहूँगा
फ़िर कहाँ इनको नज़र आ रहा हूँ।
मतलब तो अजय समझ ही गए हो
सारे सियासी पैतरे आजमा रहा हूँ।
-अजय प्रसाद