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7 Feb 2017 · 1 min read

आजमाता रहा

वो मुझ को, मैं उन को आजमाता रहा
मैं मनाता रहा, और कुछ जताता रहा
उम्र गुजरने का कगार पर आ पहुंची
न वो समझी ,की में क्या क्या समझाता रहा !!

प्यार को शर्तो पर तोल तोल कर
वो मुझ से नए नए बहाने बनाता रहा
न जाने क्या दिमाग में भर रखा था
पर फिर भी में उस को सीधे रस्ते लाता रहा !!

लत लग गयी थी न जाने किस धुन की
उस को लगाता हुआ मुझ से वो छुपाता रहा
लाख समझाया की प्यार तो प्यार ही रहेगा
पर फिर भी वो अपनी धुन में वार चलाता रहा !!

कशमकश जब दिमाग में भर रखी है तो
फिर भी मै गीत उस को मिलन के सुनाता रहा
वो सुनता रहा, गुनगुनाता रहा , सोचता रहा
पर बस इक पल में मुझ से दामन छुड़ाता रहा !!

अजीत तलवार
मेरठ
Posted by ajee

Language: Hindi
403 Views
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