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23 Sep 2024 · 1 min read

आजकल मैं

आजकल मैं कुछ लिखती हूं
भावों को शब्दों में देखती हूं

उलझनें अब मध्यम सी है
आंखों की नमी कुछ कम सी है

खुद को पहचानना आ गया है
जज़्बात बयां करना शायरा बना गया है

चित्रा बिष्ट
(मौलिक रचना)

Language: Hindi
30 Views

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