आजकल बाजार में।
आजकल…
बाज़ार में मुर्दे भी आते है !!
देखते है, सुनते है…
पर चुपचाप ही रहते है !!
घर का सामान खरीदकर वापस
कब्र में जाते है।।
दुख तो इस बात का है कि यहाँ भी
सबकी डांट खाते है।।
घर को…
कब्र कहना तुम्हें अचरज में डाल रहा होगा !!
घर तो…
घर होता है घर कब्र कहाँ लग रहा होगा !!
उस इंसान के लिए…
उसका घर कब्र ही होता है !!
जहाँ उसका…
स्वयं की इच्छा से कुछ ना चलता है !!
कब्र में,,,
इंसान केवल सुनता है कुछ ना बोल पाता है !!
वह अपनी,,,
इच्छानुसार वहां ना जी पाता है है !!
अभी कल का ही बड़ा दुःखद व्रादान्त है।।
बड़े पुत्र ने हाथ उठाया लड़ाई के उपरांत है।।
वह अपनी व्यथा घर में किसको सुनाए,,,!!!
कोई ना है समझने वाला जिसको…
वह ह्रदय के कष्ट अपने बताए,,,!!!
ईश्वर ने…
उसको बचपन में ही अनाथ कर दिया था !!
सम्पत्ति की ख़ातिर रिश्तेदारों ने,,,
उसे पाल पोश कर बड़ा किया था !!
यह तो पिताजी ने अपनी वसीयत में,,,
युक्ति अपनाई थी।।
मेरे पच्चीस वर्ष पूर्ण होने तक वह सम्पत्ति,,,
एक कानून से बचाई थी।।
उसको भय था,,,
जग हंसाई का।।
तभी तो शांत हो गया था सोचकर,,,
घर की भलाई का।।
वह सृजनकर्ता तो है दुग्ध भरी जीवन की,,,
मलाई का।।
पर अधिकार ना था स्वयं की भी,,,
परछाई का।।
कब्र ना कहे,,,…
तो उसके घर को क्या कहे !!
स्वयं का सब होते हुए,,,…
उसका कुछ भी वहां ना चले !!
उसकी कोई ना अपनी मनोदशा है।।
जीवन उसका धुन्ध में कोहसा है।।
उस सीधे मानव का,,,
अपने लिए ना कुछ काम है।।
दूसरों का काम करना ही,,,
बस उसका काम है।।
ऐसा नहीं कि,,,
वह कुछ नहीं कमाता धमाता है।
कब्र रूपी अपने,,,
घर का खर्च वही तो चलाता है।
सरकारी महकमें में वह अच्छे पद पर है।।
यह प्राप्त किया है उसने अपने दम पर है।।
संकोची स्वभाव का…,,,
वह प्रारम्भ से ही था।
उसका वैवाहिक जीवन हुआ…,,,
जब आरम्भ था।
धर्मपत्नी को ग्रह लक्ष्मी समझ कर,,,…
उसने स्वयं का सब कुछ ही अर्पित किया था।।
नव जीवन का आधार,,,…
मानकर उसको ही कल्पित किया था।।
उसे ना पता था,,,
लोगों के जीवन में ऐसे भी क्षण आते है।।
जीवित होकर भी वह मुर्दे बन जाते है।।
लड़ाई झगड़े के कारण उसने अपनी सभी,,, इच्छाओं का परित्याग किया था !!
बस यहीं से,,,
उस आदमी का स्वर्गवास हो गया था !!
प्रत्येक काम मे तय उसकी लक्ष्मण रेखा थी !!
ग्रह जीवन में उसकी ना कोई गरिमा थी !!
कुछ लोग ऐसा भी जीवन,,,…
सृष्टि पर जीने आते है !!
जीवित होकर भी वह ज़िन्दा,,,…
सांसों के मुर्दे बन जाते है !!
ताज मोहम्मद
लखनऊ