आजकल का प्यार
बेशर्त प्यार कम है।
जो तेरे -मेरे संग हैं।
ज़रूरत से ज़्यादा
आजकल का वादा
प्यार में दिखावा
ज़रूरत से ज़्यादा
बेशर्त प्यार कम है ।
जो तेरे -मेरे संग हैं।
दौलत का नशा इतना
चंद रुपयों में ज़मीर बेचते हैं
शोहरत के खातिर
अंग की नुमाइश करते हैं।
हर -रोज ऐतबार टूटता है।
बेबस प्यार मरता है।
– डॉ. सीमा कुमारी.