“आग और पानी”
“आग और पानी”
कभी पानी आग बुझाता है
कभी वो आग से जल जाता है
दोनों में अजीब द्वन्द है
मगर पता नहीं
कौन किसको देता दण्ड है?
दोनों की अपनी रवानी है
कहीं आग कहीं पानी है
दोनों एक दूसरे के विलोम है
फिर भी दोनों में प्रेम है।
“आग और पानी”
कभी पानी आग बुझाता है
कभी वो आग से जल जाता है
दोनों में अजीब द्वन्द है
मगर पता नहीं
कौन किसको देता दण्ड है?
दोनों की अपनी रवानी है
कहीं आग कहीं पानी है
दोनों एक दूसरे के विलोम है
फिर भी दोनों में प्रेम है।