आग और पानी 🔥🌳
आग और पानी
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आग पानी दोनो है बैरी
अद्भूत गाथा है पुरानी
आपस में लड़ाई करते
औरों की भलाई करते
जीवों में मलाई बाँटते
दोनो जरूरी पर हैं बैरी
जल जलज लाल जुबां
जठरानल तन पेट जलन
दावानल राख ढ़ेर भवन
अकड़ इनकी है छत्तीसी
उलट पुलट उलझ गए तो
बने तिरेसठ सुलझन में
नामुमकिन पर मुश्किल
जन्म से ये सहज सहचर
जोड़ी हैं जैसे मूंगा मोती
चाँद सितारे गगन प्यारे
आरता परछन के साथी
शुभ कार्य बिना अधूरा
संगसहेली दोनों को भाति
जन्म मरन दोनो के साक्षी
अनल सलिल अनिल साथ
विटप विपिन बीहड़ कानन
दहन अंबु आनन वात शुचि
टकरा पाषाण उग्र ताप भरा
क्षण होते ठन – ठन गोपाल
रूप मनोहर माया विकराल
क्षितिज जल पावक गगन
समीरा पंचतत्व में जग सारा
बढ़ते प्यास पानी तड़पाते
पकाकर भूख प्यास मिटाते
दूजे बिना सब चीज अधूरा
आग पानी जीवों का प्यारा
सुलगते आग बयार साथ
निर्मोही तन मन लपट लाल
भस्मासुर सा रूप विशाल
योजन मुंह समाते योजना
महाकाल भस्मीभूत श्रृंगार
अम्बरअंबु सह समीर सकल
शांत सुलह समझौता सरल
सूर्य चंद्र तारे गगन रखवाले
आग पानी प्रकृति प्राण पोषक
तत्व भू नभ जीव सबके प्यारे
श्वांस प्राण सुरक्षित इन्हीं सहारे
सत् चित् सत् नमन करते सारे
संभाल सुरक्षित जगत के प्यारे
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तारकेश्वर प्रसाद तरूण