आगोश में रह कर भी पराया रहा
आगोश में रह कर भी पराया रहा
रात भर एक चांद का साया रहा
है उसका जमाल मुख्तसर इतना
कि सहर होने तलक नुमाया रहा
✍️….. हरवंश ‘हृदय’
आगोश में रह कर भी पराया रहा
रात भर एक चांद का साया रहा
है उसका जमाल मुख्तसर इतना
कि सहर होने तलक नुमाया रहा
✍️….. हरवंश ‘हृदय’