आगि आओर बरफ
आगि आओर बरफ
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आगि आओर बरफ…
दुनू वश में कएल जा सकैत अछि,
मुदा विनाश से पहिले ।
नेहवश मिलैत अछि दुनू, धुर बैरी,
मुदा सदिखन परिणाम एक,
पिघलैत अछि बरफ, बुझैत अछि आगि।
मुदा एक दिन सभ खतम,
नै तऽ आगि आओर नै बरफ,
सभटा अस्तित्वहीन भऽ जायत।
मोहवश सओख से बेसी छति पहुँचेबा लेल,
मिलैत अछि दुनू।
धधकैत आगि आओर पिघलैत बरफ,
कहियो एक नहिं भऽ सकैत अछि।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १९ /०२/ २०२२
फाल्गुन , कृष्णपक्ष , तृतीया ,शनिवार
विक्रम संवत २०७८
मोबाइल न. – 8757227201