आखिर क्यो उदास बैठे हो
हारकर वक्त से निराश बैठे हो
क्या बात है आखिर क्यों उदास बैठे हो
कम्बख्त इस वक्त इस तरह डरना ठीक है क्या
सपने बिखर गये, पर तुम्हारा बिखरना ठीक है क्या
मेरे दोस्त हम मुसाफिर हैं, यूँ रास्तो से डरना ठीक नहीं
ये दुश्वारियां ये अंधेरे हमारे सफर का हिस्सा ही तो हैं
हम तो बस किरदार हैं ये दुनिया एक किस्सा ही तो हैं
हमें मालूम है तुम्हारे ख्वाब टूटें है
फिक्र मत करना मानता हूँ कुछ लोग छूटें हैं
इक दौर बुरा आया है कि सब कुछ थम सा गया है
पानी सी बह रही थी दुनिया बस पानी जम सा गया है
अब इसका तो इलाज यही है कि आग जलाना होगा
या बनके आग का गोला इस बर्फ को पिघलाना होगा
टूटना मत बैठना मत अवसर तमाम आयेंगे
चलते रहे गर बिना रुके तो हसीं मंजर तमाम आयेंगे
मंजिलों का सफर इतना आसान कहां होता है
पहुचता वहीं है मंजिल तक जो धैर्य नहीं खोता है
उठो जागो और रास्तों की परवाह छोड़ दो
दिखाओ अपनी ताकत और वक्त को मोड़ दो
@अrun अरुण कुमार अरु #good_morning
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