आखिर क्यों”
“आखिर क्यों”
क्यों सुधबुध हार गई वो प्यार में,
इम्तेहान भी उसने ही दिया हर बार क्यों,
क्यों नही समझा मर्म उसका,
वो पागल सी बनी रही हर बार क्यों,
क्यों नही दिखाया उसने जख्म अपना,
वो बेखबर सी , बनी हर बार क्यों..
क्यों सुधबुध हार गई वो प्यार में,
खुद को इतना लाचार बनाया क्यों,
क्यों प्यार में वो सब कुछ वार गई,
सब जानते बूझते सब कुछ अपना हारी क्यों,
क्यों प्यार में वो इतना उलझी कि,
अपने ही किरदार से वो हारी क्यों
अपने ही किरदार से वो हारी क्यों।।
अपने ही किरदार से…