आखिर किसमें “दोष” था
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले में मेरी एक पुरानी कविता
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
“मौत दर मौत”
ये कैसा हल्ला मचा है,
ये कैसी चिल्लाहट है,
क्या हुआ, मौत हुआ,
क्यों हुआ, कैसे हुआ।
क्या बच्चों की मौत,
ओह कैसे, हृदय विदारक।
एक नहीं अनेक मौत,
गोरखपुर मेडिकल कालेज में,
आक्सीजन की कमी से,
बच्चों ने दम तोड़ दिया।
आक्सीजन की कमी,
नहीं यह कैसे सम्भव है,
पैसे के अभाव में कोई,
कैसे मर सकता है।
यह तो खूद सरकार कहती है,
पैसे के अभाव में,
किसी का इलाज नहीं रुकेगा।
तो फिर मौत दर मौत का,
सिलसिला क्यों ?
अरे भाई पैसे के अभाव में,
मरीज नहीं, तीमारदार नहीं,
मेडिकल कालेज प्रशासन व,
खूद सरकार है।
जो आक्सीजन का भुगतान,
नहीं कर पायी।
63 लाख से अधिक का भुगतान,
आक्सीजन का शेष था,
इसलिए आक्सीजन की कमी से,
बच्चों का पड़ा ”अवशेष” था।
सिस्टम ने निगल ली कई जिंदगी,
लोग ढूंढ रहे हैं,
आखिर किसमें “दोष” था।
माफ करना “सरकार”,
तुम भी वैसे ही निकले,
तुमने ही पहले बाले में,
बताया जैसा “खोट” था।
12-08-2017