$$-आखिरी शब्दों के साथ समापन कविताओं का- कल से नहीं लिखेंगे इन शब्दों के संगम को-$$
लिखने का मन तो हमेशा ही करता रहता है,
पर कभी कभी इंसान किसी न किसी
के वशीभूत होकर,
परेशां इतना हो जाता है,
कि दिल भरने लग जाता है ,
और वो अपना दर्द किसी को
बयान न करके अपना अलग
रास्ता इख्तियार करता है
शायद मेरे भी जीवन में कुछ
ऐसा ही मोड़ आ गया है
लिखने को तो मन करेगा,
पर लिखा नहीं जाएगा
इस लिए आज से और अभी से
इस कविता सम्न्गम को विराम
देते हुए, आप सभी दोस्तों से
अब विदा लेता हूँ,
बहुत अच्छा लगा की सब का
सहयोग मिला , सब का साथ मिला
करने को तो याद करे या
न करेगी दुनिया हमको
बस जमाने में हम आये
थे, और कुछ कह कर जा रहे हैं
इतना ही सकूंन काफी है,
ऐ “”मौत” तेरे इन्तेजार में
अजीत कुमार तलवार
मेरठ