“आखिरी अहसास”
आज कोई रखना नहीं चाहता
घर में बूढ़ा आदमी
होता है जिसमें
विचारों की सुन्दर सादगी
जो हैं सदियों के इतिहास की
बोलती हुई आवाज
छुपी होती जिसमें अक्सर
सारे इन्द्रधनुषी साज
मगर विडम्बना यह
कि होता है वो बूढ़ा आदमी
बची-खुची कृपा का दास,
मरती हुई करुणा का
बस आखिरी अहसास।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
(वर्ष 2023 का भारत भूषण सम्मान प्राप्तकर्ता और दुनिया के सर्वाधिक होनहार लेखक के रूप में विश्व रिकॉर्ड में दर्ज)