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18 Mar 2020 · 1 min read

आख़िरी ख़त

मोबाइल के गुटर- गूं के साथ
व्हाट्सऐप,फेसबुक,मैसेंजर पर
बोलती अँगुलियों ने
हृदय की भाषा को कर दिया मौन
कितना अच्छा लगता था
घंटो सोचना
भावनाओं को स्याही में घोलना
और फिर उन्हें परिवर्तित करना शब्दों में
उतारना कागज पर
लिफ़ाफ़े में बंद करना
टिकट चिपकाना
और पता लिखकर
लाल डिब्बे में डालना
इसके बाद एक लम्बा इंतज़ार
और फिर उस लिखे हुए ख़त का
जवाब पाकर खुश होना
घंटो में लिखे गए ख़त को
महीनों पढ़ना और संभालकर रखना
अब तो याद भी नहीं
कि वो आखिरी ख़त कौन सा था
जिसे हमने लिखा या पढ़ा था
हमारी भावनाओं को मरे हुए
कितना वक्त़ गुज़र गया
मुझे तो नहीं याद
क्या आपको याद है?

Language: Hindi
243 Views
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