वो सोचते हैं कि उनकी मतलबी दोस्ती के बिना,
भीख में मिले हुए प्यार का
कविता - "करवा चौथ का उपहार"
क्रांक्रीट का जंगल न बनाएंगे..
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
■ तंत्र का षड्यंत्र : भय फैलाना और लाभ उठाना।
डर, साहस, प्रेरणा,कामुकता,लालच,हिंसा,बेइमानी इत्यादि भावनात्
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
कामयाबी के दरवाजे उन्हीं के लिए खुलते है
- तुम बिन यह जिंदगी बेरंग हो गई है -
हम अप्पन जन्मदिन ,सालगिरह आ शुभ अवसर क प्रदर्शन क दैत छी मुद
उम्र के हर एक पड़ाव की तस्वीर क़ैद कर लेना
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
खैर जाने दो छोड़ो ज़िक्र मौहब्बत का,
*सतगुरु साँई तेरे संग है प्रीत लगाई*
मुर्दा यह शाम हुई
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी