आओ हम गीत लिखें
आओ हम गीत लिखे,
कुछ तो इसमे प्रीत लिखे।।
बदले है मौसम,बदली है फिजायें,
बदले है दिल भी,औ सूरत-ए-अदाएं।
आओ फिर से हम,
इस पतझड़ में बसंत लिखे।।आओ हम गीत लिखे—
हर तरफ तपन है,
धूम सी एक परत है।
चीर सके तिमिर को,
प्रभा की वो किरण लिखे।।आओ हम गीत लिखे—
कड़कती गरजती टकराती,
दहलाती है ये ध्ववनियां।
फैला दे हरीतिमा चहुंओर,
रिमझिम सा संगीत लिखे।।आओ हम गीत लिखे—
ऊँचे है शिखर भी,
जो दूर करते निज को।
होता रहे मिलान ऐसा,
‘लहरी’सा क्षितिज लिखे।आओ हम गीत लिखे—
(डॉ शिव”लहरी”)