आओ रे आओ रे __ पर्यावरण गीत
******पर्यावरण गीत******
आओ रे आओ रे संग संग मेरे गाओ रे।
वृक्ष लगाओ वन उपजाओ_
धरा को फिर से सजाओ रे।।
आओ रे आओ रे ______
(१)
कल कल बहते झरने नदियां ,
कहां दिखाई देते हैं।
जहां कभी थे बाग बगीचे ,
आज वही हम रहते हैं।।
नवयुग के इस मेले में_
जनता तो दिन रात बड़ी।
कट गए जंगल घट गए उपवन,
आन पड़ी संकट की घड़ी।।
अब भी जागो सब को जगाओ ,
नींद को दूर भगाओ रे।।
आओ रे आओ रे ,
संग संग मेरे गाओ रे।
वृक्ष लगाओ वन उपजाओ,
धरा को फिर से सजाओ रे।।
(२)
प्रकृति से खिलवाड़ किया है,
परिणाम भी घातक आएगा।
जैसे तैसे कट जाएगा अपना_
नव जीवन संकट पाएगा ।।
हवा पानी को तरस जाएंगे _
जीवन कैसे चलाएंगे ।
प्रगति पथ पर खूब चले हम _
वह कैसे चल पाएंगे ।।
मानव जीवन बचा रहे_
कुछ संकल्प ऐसा उठाओ रे ।।
आओ रे आओ रे_
संग संग मेरे गाओ रे ।
वृक्ष लगाओ वन उपजाओ,
धरा को फिर से सजाओ रे।।
राजेश व्यास अनुनय
बोड़ा राजगढ़