*********** आओ मुरारी ख्वाब मे *******
*********** आओ मुरारी ख्वाब मे *******
सो न पाई हूँ रात भर, आओ मुरारी ख्वाब में,
तुम चलो तो राधा द्वार पर,आओ मुरारी ख्वाब में।
ताकती हैँ राहें, नैन हारे,नींद उड़ती पँख-पसारे,
निंदिया भी आई हार कर,आओ मुरारी ख्वाब में।
रात अंधेरी है जां अकेली, कौन बुझता पहेली,
हूँ अकेली लगता भार डर,आओ मुरारी ख्वाब में।
हाथ फैलाकर मै बुलाऊँ कान्हाँ बदन में आग लगी,
बिन तुम्हारे जाऊँ जान मर,आओ मुरारी ख्वाब में।
यार मनसीरत है पुकारे बिन तुम्हारे नहीं गुजारे,
हो गया मेरा बर्बाद दर, आओ मुरारी ख्वाब में।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)