“” *आओ बनें प्रज्ञावान* “”
“” आओ बनें प्रज्ञावान “”
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आओ
बनें हम प्रज्ञावान,
सुख-दुःख से ऊपर उठते चलें !
और कभी न करें यहाँ व्यर्थ चिंताएं….,
श्रीप्रभु भक्ति में स्वयं को लीन बनाए रखें !! 1!!
बनें
ज्ञानी और विवेकवान,
सदा सम्यक भाव संग जीएं चलें !
और कभी ना फँसे यहाँ राग-द्वेष में…..,
निस्पृह प्राणी बनके वीतरागी बनें !! 2 !!
प्रज्ञावान
रहते जीवन में,
सदैव चिंतन मननशील यहाँ पे !
और कभी न करें किसी से अपेक्षाएं…,
एवं उपेक्षित भाव को त्याजते चलें!! 3 !!
आओ
बनें सभी प्रज्ञावान,
स्थिरबुद्धि से चलें यहाँ सोचते !
सदैव बनाए रखें अकूत धैर्य संतोष…,
और चलें राधे-श्रीकृष्ण संकीर्तन में झूमते !! 4 !!
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सुनीलानंद
गुरुवार,
30 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |