*आओ पाने को टिकट ,बंधु लगा दो जान : हास्य कुंडलिया*
आओ पाने को टिकट ,बंधु लगा दो जान : हास्य कुंडलिया
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आओ पाने को टिकट ,बंधु लगा दो जान
रखो अधूरा मत कभी , कोई भी अरमान
कोई भी अरमान , कमी मत कोई करना
अर्थ हाथ का मैल ,दलालों का मुँह भरना
कहते रवि कविराय ,जुगत दिन-रात लगाओ
रगड़ो हर दर नाक , पैर छू – छूकर आओ
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अर्थ = धन
मुँह भरना = पैसा देकर संतुष्ट करना
जुगत = जुगाड़
दर = द्वार
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर (उ. प्र.)
मोबाइल 9997615451