*आओ देखो नव-भारत में, भारत की भाषा बोल रही (राधेश्यामी छंद)*
आओ देखो नव-भारत में, भारत की भाषा बोल रही (राधेश्यामी छंद)
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आओ देखो नव-भारत में, भारत की भाषा बोल रही
सूरज की किरण सनातन के, हर बंद द्वार को खोल रही
नूतन युग की पदचाप सुनो, यह नहीं कभी रुकने वाली
ग्रीवा जो आज उठी है वह, ग्रीवा है कब झुकने वाली
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451