आओ दिसम्बर को रुखसत करें
आओ दिसम्बर को रुखसत करें
कुछ खुशियों को संभाल कर
कुछ आँसुओं को टाल कर
जो पल बीते चाहतों में
जो लम्हे गुजरे हसरतों में
वक़्त के साथ चलते- चलते
जो थक के रुके रास्तों में
कभी खुशी की उम्मीद मिली
कभी बिछड़े हुओं की दीद मिली
कभी बे- पनाह मुस्करा दिया
कभी हंसते-हंसते रो दिया
उन सारे लम्हों को कमतर करें
आओ दिसम्बर को रुखसत करें!
अलबिदा दिसम्बर!