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31 Dec 2024 · 1 min read

आओ दिसम्बर को रुखसत करें

आओ दिसम्बर को रुखसत करें
कुछ खुशियों को संभाल कर
कुछ आँसुओं को टाल कर
जो पल बीते चाहतों में
जो लम्हे गुजरे हसरतों में
वक़्त के साथ चलते- चलते
जो थक के रुके रास्तों में
कभी खुशी की उम्मीद मिली
कभी बिछड़े हुओं की दीद मिली
कभी बे- पनाह मुस्करा दिया
कभी हंसते-हंसते रो दिया
उन सारे लम्हों को कमतर करें
आओ दिसम्बर को रुखसत करें!
अलबिदा दिसम्बर!

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