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7 Mar 2020 · 1 min read

आओ जलाएँ होली

जान लेती है निर्दोष लोगों की
जिनकी बंदूकों से निकली गोली,
हिंसा और आतंक फैलाकर,
खून की रोज जो खेलते होली,
आओ जलाएँ आज मिलकर
हम सब उस आतंक की होली।

आपसी फूट की दीवार बनाकर
नफ़रत, दहशत का ज़हर मिलाकर,
आँसू और सिसकियो से भरकर
कलंकित करते माँ की झोली,
आओ जलाएँ आज मिलकर
हम सब उस आतंक की होली।

मासूमों से छीनकर बचपन
सिखा रहे हथियारों की बोली
राष्ट्रीय एकता में सेंध लगाकर
कट्टरता की हैं फसलें बो लीं
आओ जलाएँ आज मिलकर
हम अब उस आतंक की होली।

कहीं पत्थराव ,कहीं बम प्रहार से
मिटा रहे जो लोगों की खुशहाली,
अलगाववाद की बीन बजाकर
समाज में जो ला रहे बदहाली,
आओ जलाएँ आज मिलकर
हम सब का आतंक की होली।

सजाएँ शहीदों के मस्तक पर रोली
दबाएँ आंतरिक विद्रोहों की बोली,
त्याग, प्रेम, उपकार और सदाचार से
भारत माता की हम भर दें झोली,
आओ जलाएँ आज मिलकर हम
दिलों में बढ़ती नफरतों की होली।
आओ मनाएँ आज मिलकर
प्यार के रंगों की होली ।
***********????

खेमकिरण सैनी
7 मार्च, 2020

Language: Hindi
3 Likes · 312 Views
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