आओ गायें हिन्दी गान
आओ गायें हिन्दी गान
राष्ट्रधर्म की है पहचान
कवियों की है सखी सहेली
सदा रहे नित नई नवेली
ग्रन्थों में भी इसका नाम
अज़ब अनोखे इसके काम
दुनियां इसके गाती गीत
बन हिन्दी का सच्चा मीत
प्यार करे हर इक इन्सान
हिंदी को है ये वरदान
हिन्दी करती भेद नहीं
जांति पांति का खेद नहीं
हिंदी माँ की ममता है
जन जन इसमें रमता है
हिंदी ईश्वर की वाणी
लड़ जाये तो क्षत्राणी
गंगा सी अमृत धारा
हिन्दी ने सबको तारा
हिन्दी का हम करते मान
लिखते गाते हिन्दी गान
बस हिन्दी अपनी भाषा
जीवन में बस इक आशा
जिव्हा पर भाषा हिंदी
माथे की वो है बिंदी
जन जन गाये हिंदी गान
हिंदी पाएगी सम्मान
हिंदी बड़ी सुरीली है
आशिक रंग रँगीली है
हिंदी घर घर वास करे
सबके दिल पर राज करे
खेलेगी खुल कर होली
बन जायेगी हमजोली
सरस्वती का लेकर रूप
बन जायेगी सबकी भूप
गूँजेगी भाषा हिंदी
भारत माँ की बन बिंदी
कीजे इसका नित वन्दन
विश्व करेगा अभिनन्दन
आओ गायें हिन्दी गान
राष्ट्रधर्म की है पहचान
© डॉ० प्रतिभा ‘माही’