सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं ।
जीवन में अनुपम प्रकाश के रंग भरे, उल्लास सजाएं ।
राष्ट्र हमारा कल गुलाम था
आज स्वयं हम ही गुलाम है।
अवनति- हिंसामय रोगों से,
एंठू है, हम सिर्फ चाम है ।
सोई आत्मा, आँसू गम के,
निकल रहे, कुछ तो शर्माएं।
सद् गणतंत्र सुदिवस मनाएं ।
कहीं लूट,इज्जत औ धन की।
बन बैठे हम हिंसक -सनकी।
जीवित हैं, गह अहंकार को,
चिंता नाहीं इनको जन की ।
स्वयं सुधरिए ,जग सुधरेगा,
नारे को कुछ तो अपनाएं।
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं।
जय-जय, केवल है भाषा में ।
मन ,दूरी की परिभाषा में ।
अंतःकरण मिले ना भैया ।
बुद्धि, प्रेम की अभिलाषा में,
बैठी ,यह अज्ञान तिमिर है ।
दिल-सुबोल को कर्म बनाएंं।
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं।
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पं बृजेश कुमार नायक
●उक्त रचना को साहित्यपीडिया पब्लिशिंग से प्रकाशित मेरी कृति “पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाए” के द्वितीय संस्करण के अनुसार परिष्कृत किया गया है।
●”पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाए” काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण अमेजोन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।
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