आए अवध में राम
आये आये अवध में राम घर घर लगे तोरण द्वार आए आए अवध में राम।।
सखी सहेलियां गाये मंगल गान आये आये अवध में राम।।
चौदह वर्ष कैसे बिताए दुःख कष्ट गले लगाए सिया सुकुमारी प्राण आये आये अवध में राम।।
जन जन छवि निहारे विस्मृत देख नल नील अंगद हनुमान आये आये अवध में राम ।।
कुल्ल भिल्ल को गले लगाए सबके क्लेश हरते आये बानर रीझ निहाल आये आये अवध में राम।।
नंदीग्राम पग प्रथम भाई भरत के हरत संताप आये आये अवध में राम।।
जन जन मन मंदिर कनक भवन समान आये आये अवध में राम।।
पूछे एक दूजे से नर नारी क्यो हुई सिया की अग्नि परीक्षा जग जननी माईया सीता अम्बर आकाश आये आये अवध में राम।।
राम लखन सिया देख जन हर्षाये जन्म कर्म फल सब पाए देवो करत पुष्प वर्षा जगत कल्याण विश्वासः आये आये अवध में राम।।
बाजे दुंदभी शंख घण्टा और घड़ियाल जन जन देखत राजा राम रामराज्य सत्कार आये अवध में राम।।
घर घर दर दर दीप जले है अवध पूरी स्वर्ग सुंदर है दीपोत्सव पावन उत्सव जन युग अभिमान आए आए अवध में राम।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।