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3 May 2022 · 1 min read

“आई ईद”

माहे-रमज़ाँ की नवाज़िश, ख़ुशी मनाने, आई ईद,
शादे-मन्ज़र हर सिमत, हरगिज़ दिखाने, आई ईद।

सिवईँ, हलवा, बरफी, ज़र्दा, ताज़े सब पकवान बने,
कपड़े नये, नई टोपी, उल्लास जगाने आई ईद।

चूल्हा,चिमटा,तवा,सिपाही, “ईदगाह” की अमिट कथा,
दादी-पोते का निश्छल वो, प्यार सिखाने, आई ईद।

गाल पोपले, झुकी कमर सँग, न्याय माँगती वो ख़ाला,
“परमेश्वर” का वास “पँच “मेँ , याद दिलाने, आई ईद।

दुश्मन भी मिल जाएँ गले, होँ दूर गिले, शिकवे सारे,
“जुम्मन-अलगू”, साथ पढ़े थे, मेल कराने, आई ईद।

भाईचारा रहे सलामत, कोई भी बेज़ार न हो,
अमन-चैन के जज़्बे को, परवान चढ़ाने, आई ईद।

रहे देशहित सर्वोपरि, “ए0पी0 कलाम”, आदर्श रहें,
मर कर “वीर हमीद”, अमर है, पाठ पढ़ाने, आई ईद।

भोर सुहानी, रीत पुरानी, बरकत का आग़ाज़ रहे,
तल्ख़ी गर रिश्तों मेँ कोई, उन्हें भुलाने, आई ईद।

बन्दे सभी ख़ुदा के “आशा”, ऊँँच-नीच का भेद मिटे,
मज़लूमों पे रहे इनायत, यही बताने आई ईद..!

##———–##———–##————##———

रचयिता
Dr.asha kumar rastogi
M.D.(Medicine), DTCD
Ex.Senior Consultant Physician, district hospital, Moradabad.
Presently working as Consultant Physician and Cardiologist, sri Dwarika hospital, near sbi Muhamdi, dist Lakhimpur kheri U.P. 262804 M.9415559964

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