आईना
प्रेम के पावन रिश्ते की गवाही देता है आईना।
हर हुस्न को सरेआम वाहवाही देता है आईना।
इसकी चमक से ज़िंदगानी में रंग भरा करते हैं,
चरित्रों को ऐसी अद्भुत स्याही देता है आईना।
कोमल भावनाओं का कवच होता है आईना।
सिंगार दान का फाइनल टच होता है आईना।
इसकी चमक से यहाॅं के प्रेमी धोखा खाते हैं,
झूठे वादे तोड़ता कड़वा सच होता है आईना।
कई प्रलोभनों से भरा प्रपंच होता है आईना।
कई पात्रों का नाटकीय मंच होता है आईना।
बिना इसके वास्तविकता से न मिल पाते हैं,
हृदय-सिंहासन का सरपंच होता है आईना।
सोच की आकण्ठ पिपासा होता है आईना।
आशाओं से भरी जिज्ञासा होता है आईना।
लोग तो रूप-कुरूप के पीछे लड़ते जाते हैं,
प्रत्येक मुखड़े का दिलासा होता है आईना।
जो लोगों के आगे बेक़सूर होता है आईना।
तो क्यों इस तरह चूर-चूर होता है आईना?
इस जग को झूठे व स्वार्थी लोग ही भाते हैं,
इसलिए सब लोगों से दूर होता है आईना।