Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Dr. Kishan tandon kranti
276 Followers
Follow
Report this post
29 Aug 2024 · 1 min read
“आईना सा”
“आईना सा”
हर एक दामन में छुपे हैं दाग यहाँ,
आईना सा बेदाग पाकिर तलाशता हूँ।
Tag:
Quote Writer
Like
Share
2 Likes
·
2 Comments
· 28 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
पूनम का चाँद (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तस्वीर बदल रही है (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
नवा रद्दा (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तइहा ल बइहा लेगे (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
परछाई के रंग (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सबक (लघुकथा-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सौदा (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
जमीं के सितारे (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
बेहतर दुनिया के लिए (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
मेला (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
You may also like:
परिश्रम
ओंकार मिश्र
मर्यादा पुरुषोत्तम राम
Ramji Tiwari
तुम तो हो जाते हो नाराज
gurudeenverma198
जन मन में हो उत्कट चाह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
काश ! ! !
Shaily
बीते लम़्हे
Shyam Sundar Subramanian
2853.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तू नहीं चाहिए मतलब मुकम्मल नहीं चाहिए मुझे…!!
Ravi Betulwala
*वक्त की दहलीज*
Harminder Kaur
रंगमंच कलाकार तुलेंद्र यादव जीवन परिचय
Tulendra Yadav
तुम - हम और बाजार
Awadhesh Singh
मैं हूं कार
Santosh kumar Miri
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
अमीर घरों की गरीब औरतें
Surinder blackpen
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
Basant Bhagawan Roy
कितने शब्द हैं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
" गच्चा "
Dr. Kishan tandon kranti
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
कवि दीपक बवेजा
ज़िंदा होना ही काफी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
जज्बात
अखिलेश 'अखिल'
मेरा गांव
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हम हमेशा साथ रहेंगे
Lovi Mishra
रेत सी इंसान की जिंदगी हैं
Neeraj Agarwal
मुझे इस बात पर कोई शर्म नहीं कि मेरे पास कोई सम्मान नहीं।
*प्रणय प्रभात*
अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
Suryakant Dwivedi
जो कहना है खुल के कह दे....
Shubham Pandey (S P)
क्या जलाएगी मुझे यह, राख झरती ठाँव मधुरे !
Ashok deep
*वैदिक संस्कृति एक अरब छियानवे करोड़ वर्ष से अधिक पुरानी है:
Ravi Prakash
एक डॉक्टर की अंतर्वेदना
Dr Mukesh 'Aseemit'
आत्म अवलोकन कविता
कार्तिक नितिन शर्मा
Loading...