आइन
आईन के मुहाफ़िज़ सड़को पे लड़ रहें हैं
तालिब मुहब्बतों के तख्ती लिए खड़े हैं
हर एक का वतन ये हर एक का चमन है
हिन्दोस्तां के बुलबुल मशाले लिए खड़े हैं
है अंजुमन अंधेरी, मौसम ज़रा बुरा है
हैं हुक्मरां ज़ालिम ,ज़ुल्मों का सिलसिला है
फिर भी डटें हुए से हिंदी यहां खड़े हैं
पग, टोपी, क्रोस,टीके यहां सब चमक रहे है
किसको अलग करोगे किसको जुदा करोगे
सब एक साथ मिल के हक़ के लिए खड़े
हैंअसल रंग अब के निखरा जब सारे साथ आए
हरएक अब तो बाहें फैलाए से खड़े हैं
ये मज़हबों से ऊपर आइन के लिए हैं
आवाज़ जो बुलन्द है आवाम के लिए है
आइन के मुहाफ़िज़ तुम को सलाम मेरा
आइन से ही है ये हिन्दोस्तान मेरा