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4 Aug 2020 · 1 min read

आइनों

आइनों
तुमने तो
ज़रुर सहेज
कर रक्खा होगा
मेरे उम्र के हर
एक पड़ाव को।
रोज़
तुम्हें देख्र कर ही
तो मैंने खुद को
सँवारा है ज़िंदगी में।
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
5 Likes · 2 Comments · 450 Views
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