आइना
आइना हो मेरा या,
अक्स हो तुम….
या दिल से जुड़ा,
कोई गहरा शक्स हो तुम…..
मन में रहती है बात मेरे,
पर कह जाती हो तुम….
धीरे से आकर मेरे,
दिल के हर साज़ छेड़ जाती हो तुम…..
पता है हमे भी कि,
क्या है तुम्हारे दिल में…
फिर क्यों बातें अपने मन की,
हमसे छुपाती हो तुम…..
अब मान भी जाओ,
कहदो अपने दिल कि बात….
क्यों वक़्त के डर से,
खुद को दबाती हो तुम……
करलो यकीन थोडा हम पर भी,
वादा है कभी ना पछताओगी तुम….
देंगे साथ तुम्हारा वहां तक,
जहाँ ख्वाबों में भी ना जा पाओगी तुम…….”
© बेनाम-लफ्ज़….