आइना क्यों बना दिया मुझको
मोम पहले बना दिया मुझको
फिर जला कर मिटा दिया मुझको
वाक़ई यह तुम्हारा अहसां है
आईना जो दिखा दिया मुझको
जिसपे मिलती नहीं कभी मंज़िल
ऐसा रस्ता दिखा दिया मुझको
अब मैं गिरने से डरता रहता हूँ
कितना ऊपर बिठा दिया मुझको
ऐब वाले तो मुझसे जलते हैं
आईना क्यों बना दिया मुझको
क्या है दुनिया ये तब समझ आया
ख़ाक में जब मिला दिया मुझको
किस से मिलना है किस तरह यारों
ज़िंदगी ने सिखा दिया मुझको
कितना वो बदनसीब था आतिफ़
जिसने पाकर गंवा दिया मुझको
इरशाद आतिफ़ अहमदाबाद
मो॰ 9173421920