Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Feb 2021 · 3 min read

आंदोलन काल!

उन्नीस सौ अठ्ठासी में
पंचायत के चुनाव का बिगुल बजा,
अन्य लोगों की तरह,
मैंने भी चुनाव लडा,
अपने ही साथी संगी,
बन गये प्रतिध्वंदी,
खुब हुई हममें जंग,
जीत रही मेरे संग,

पिछले कार्यकाल में,
जब मैं सदस्य रहा,
जिन जिन मुद्दों को,
लेकर के,
तब हमने आंदोलन किया,
कुछ कुछ तो पा लिया था,
किंतु जो कुछ भी शेष रहा,,
अब उनको हासिल करने का,
लक्ष्य हमारे सम्मुख था!

शिक्षा स्वास्थय सड़क बिजली पानी,
प्रारंभ हुई एक नई कहानी,
स्कूल खुला तो भवन नहीं,
सड़क बनने लगी तो,
कट गई खेती की जमीन,
बिजली का भी था बबाल,
दिन भर रहती,
रात चली जाती,
नित्य नई शिकायत आती,
पानी के लिए भी मारामारी थी,
स्टैंड पोस्ट पर लगती भीड भारी थी!

स्कूल के लिए भवन बनवाने को,
मैं गया बेशिक शिक्षा कार्यालय को,
वहां प्रार्थना पत्र दिया,
भवन निर्माण का अनुरोध किया,
उन्होंने पत्र पढ़ कर बताया,
यह राजकीय विद्यालय है,
इसमें हमारा कोई दखल नहीं है,
इसके लिए तो सरकार से कहो,
हमारे लिए सरकार डी एम थे,
हम जाकर उनसे मिले थे,
उन्होंने परिक्षण कर देखने का भरोसा दिया,

अब हम बिजली विभाग में पहुंचे,
उनसे अपनी समस्या बताई,
उन्होंने कहा यह समस्या तो रहेगी भाई,
हमने बिजली दूसरे जनपद से ली है,
पहले उनकी आपूर्ति जरुरी है,
जब तक हमारा सब स्टेशन नहीं बनेगा,
तब तक ऐसे ही काम चलेगा,
इसके लिए सरकार पर दबाव बनाओ,
एक सब स्टेशन स्वीकृत कराओ!

अब हमने लोक निर्माण विभाग का रख किया,
उन्हें भी जाकर पत्र दिया,
कट गई जो भूमि, उसकी कीमत दिलाइए,
दब रही है जो भूमि,उसका प्रतिकर बनाईए,
काश्तकारों को शीघ्र ही राहत भिजवाइए,
उन्होंने भी पक्ष बताया,
नापने को खेतों को अमीन आएगा,
वह ही आकर देखेगा नापेगा,
उसी के अनुरूप क्लेम बनेगा,
मिलने पर बजट तब कंपनशेसन बंटेगा!

अब हम जल संस्थान को रवाना हुए,
उनसे निवेदन करने लगे,
स्टेंड पोस्टों की संख्या बढ़ाइए,
या फिर कहीं पर टैंक (टंकी) बनाइए,
एक ही खुंटे पर लगती है भीड़ भारी,
होती है बात बेबात पर मारामारी,
उन्होंने भी अपनी समस्या बताई,
टंकी बनाने में असमर्थता जताई!

समस्याएं मुंह बाए खड़ी थी,
सरकारी अमले की लाचारी बड़ी थी,
कहीं कोई काम हो नहीं रहा था,
मतदाताओं का मोहभंग होने लगा था,
तब मिल कर निकटवर्ती ग्राम प्रधानों ने,एक संगठन बनाया,
सौंगघाटी विकास समिति,उसका नाम सुझाया,
फिर उसका एक ज्ञापन बनाया,
जिला प्रशासन से लेकर शासन तक पहुंचाया,
एक निर्धारित समय उसमें दर्शाया,
आंदोलन करने का संदेश सुनाया!

तीन माह तक इंतजार किया,
फिर संगठन में विचार किया,
आंदोलन का रूप तैयार किया,
कहां पर बैठ कर धरना देना है,
किस को कब कब वहां बैठना,
कब किसे क्या करना है,
समाचारों में भी इसको कवर करना है,
अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई,
कुछ नौजवानों की टोली जन जागरण को गयी,
आंदोलन का खुब फैलाव हुआ,
लोगों का जन समर्थन मिलने लगा,
सड़क रोकने से लेकर कमिश्नर के कार्यालय में धरना देने तक,
महीने से ज्यादा आंदोलन चला,
तब कुछ वरिष्ठ नेताओं के दखल से प्रशासन मिला,
मांगों को श्रेणी वद्ध किया गया,
प्रशासन स्तर के लिए डी एम से कहा गया,
शासन स्तर को सरकार में भेजा गया,

शासन से मिलने लखनऊ गये,
मंत्री-मुख्यमंंत्री से मिले,
आंदोलन की चर्चा चली,
मुख्यमंत्री ने कुछ समस्याएं हल कर दी,
दो हाईस्कूल दो क्षेत्रों में स्वीकृत हुए,
सड़क,पुल और स्वास्थ्य केन्द्र भी हमें मिले,
इस तरह से यह कार्य काल पुरा हो रहा था,
तभी उत्तराखंड का आंदोलन जोर पकड़ रहा था,
सब लोग इसकी जरूरत को समझ रहे थे,
हम भी इस आंदोलन में जुड़ गए थे।

(यादों के झरोखे से)

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 496 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
रोला छंद. . .
रोला छंद. . .
sushil sarna
मेरे हिस्से में जितनी वफ़ा थी, मैंने लूटा दिया,
मेरे हिस्से में जितनी वफ़ा थी, मैंने लूटा दिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तुम्हारी हाँ है या ना ?
तुम्हारी हाँ है या ना ?
Dr. Rajeev Jain
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
King of the 90s - Television
King of the 90s - Television
Bindesh kumar jha
International  Yoga Day
International Yoga Day
Tushar Jagawat
तू तो सब समझता है ऐ मेरे मौला
तू तो सब समझता है ऐ मेरे मौला
SHAMA PARVEEN
3637.💐 *पूर्णिका* 💐
3637.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
Rj Anand Prajapati
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
कन्यादान हुआ जब पूरा, आया समय विदाई का ।।
कन्यादान हुआ जब पूरा, आया समय विदाई का ।।
Rituraj shivem verma
दश्त में शह्र की बुनियाद नहीं रख सकता
दश्त में शह्र की बुनियाद नहीं रख सकता
Sarfaraz Ahmed Aasee
कलियों सी मुस्कुराती
कलियों सी मुस्कुराती
Anand Kumar
..
..
*प्रणय*
देश आपका जिम्मेदारी आपकी
देश आपका जिम्मेदारी आपकी
Sanjay ' शून्य'
“किरदार भले ही हो तकलीफशुदा  ,
“किरदार भले ही हो तकलीफशुदा ,
Neeraj kumar Soni
दिल की बातें
दिल की बातें
Ritu Asooja
आकाश मेरे ऊपर
आकाश मेरे ऊपर
Shweta Soni
" कबड्डी "
Dr. Kishan tandon kranti
No Second Option
No Second Option
पूर्वार्थ
पापा
पापा
Lovi Mishra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
दिल कहे..!
दिल कहे..!
Niharika Verma
निर्भया
निर्भया
विशाल शुक्ल
बदलती दुनिया
बदलती दुनिया
साहित्य गौरव
बड़े ही खुश रहते हो
बड़े ही खुश रहते हो
VINOD CHAUHAN
तिश्नगी
तिश्नगी
Shyam Sundar Subramanian
रिश्तो का संसार बसाना मुश्किल है।
रिश्तो का संसार बसाना मुश्किल है।
सत्य कुमार प्रेमी
नारी तेरे रूप अनेक
नारी तेरे रूप अनेक
विजय कुमार अग्रवाल
Loading...