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30 Jan 2018 · 1 min read

आंखों से दूर जाना

आंखों से दूर जाना सपनों में आना हो गया l
अपनी ही तस्वीर में चेहरा पुराना हो गया ll

उस पुराने पेड़ के नीचे कभी मिलते जहां l
अब तो अपना रात दिन वो आशियाना हो गया ll

टूट कर के चाहना भी एक सजा ही है यहां l
हीर-रांझा का फसाना तो पुराना हो गया ll

आग का दरिया सुना था प्यार होता है यहां l
अब तो अपना रोज का ही आना-जाना हो गया ll

यह ‘सलिल’ तेरा मुक़द्दर खींचकर लाया जहां l
दूर जाए तो भी कैसे तू जनाजा हो गया ll

संजय सिंह ‘सलिल’
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश ll

1 Like · 367 Views
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