आंखों में हैं ख्वाब हज़ारों मेरे फिर
आंखों में हैं ख्वाब हज़ारों मेरे फिर
है मरहम कहां जख्म भरने के लिए।
हैं हजारों ही गम इस जहां में अब
वजह कहां कोई मुस्कुराने के लिए।
रोया एक रात बहुत अंजान भी ये
वो आया फिर याद सताने के लिए।
आंखों में हैं ख्वाब हज़ारों मेरे फिर
है मरहम कहां जख्म भरने के लिए।
हैं हजारों ही गम इस जहां में अब
वजह कहां कोई मुस्कुराने के लिए।
रोया एक रात बहुत अंजान भी ये
वो आया फिर याद सताने के लिए।