” आँसू “
डॉ लक्ष्मण झा ‘ परिमल ”
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नयनों से आँसू बहते हैं,
बहता है तो बह जाने दो !
दुख में यह बहता है अविरल,
खुशिओं में इसे छलकने दो !!
हमें दर्द बहुत ,
दुख देता है ,
रह- रह के ,
रुला देता है,
कभी हमको,
तड़पाता है ,
कभी रह- रह,
आँसू गिरता है !!
कुछ क्षण में हम सब भूल गए ,
बीती बातें को मन से भूलने दो !
दुख में यह बहता है अविरल,
खुशिओं में इसे छलकने दो !
नयनों से आँसू बहते हैं,
बहता है तो बह जाने दो !
दुख में यह बहता है अविरल,
खुशिओं में इसे छलकने दो !!
खुशिओं के ,
आँसू होते हैं ,
वो प्यार के ,
बोल समझते हैं,
अपनों से जब ,
जब मिलते हैं ,
तब जाकर फिर ,
कहीं रुकते हैं !!
आँसू का साथ है जन्म जन्म का ,
जब जैसा बहना चाहे बहने दो !
दुख में यह बहता है अविरल,
खुशिओं में इसे छलकने दो !
नयनों से आँसू बहते हैं ,
बहता है तो बह जाने दो !
दुख में यह बहता है अविरल ,
खुशिओं में इसे छलकने दो !!
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डॉ लक्ष्मण झा ‘ परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका