आँशु
आँशु पर कविता
अक्षु में कोई गम , जो छुपा कर हंमे हँसा रहा है ।
नयन में वो पानी ,जो चहरे पर पसीना बहा रहा है
।
मेहनत वो करे ,आँखों में दीदार कर , बच्चो के भविष्य की पीढ़ी को बना रहा है ।
नयनो में कैसे कैसे सपने , जो कोई है अपने ,उनके लिए उड़ान भर रहा है ।
तीखी तीखी बातें ,मीठी मीठी नजरे ,नयनो के आरजू में जिंदगी के कड़वापन भी घोल रहा है ।
जो कोई पनाह दे जाए , जो कोई सुला जाए , पर नींद करवटें में उलझ कर आँखों को भी सोचने को मजबूर कर रहा है ।
दिल❤की बाते दिल से कहे,
मन की बाते मन से कहे ,
पर नयने अपनी बाते अर्न्तमन से सुलझा रहा है ।
नयनो में कैसे अरमान , जो है ऊँचा आसमान , पर वो बरसात कर ,नयनो में पानी भर रहा है।
डलती शाम , ढलती राते पर नयनो की नही विश्राम
उसे तो
नाव में बैठकर उस पार शीतलता का चश्मा सजा रहा है ।
हो गई आँखों से मिट्टी गीली
काट गई रास्ता बिल्ली
,कोई तो गम में अक्षु से धारा
बह रहा है ।
पल पल में ख़ुशी ,पल पल में दुखी ,लाल लाल आँखे जो कि
क्रोधाग्नि की आग बरसा रहा है ।
आँखों में सजल , नयन में काजल जो कि किनारों पर बून्द से कीचड़ को किनारे लगा रहा है ।
आँखों में पानी ,यह जीवन की कहानी ,जो कोई समझ सके
जो जिंदगी के लक्ष्य पर जा रहा है ।
किसी की आँखों में पानी, करुणामय का सागर में खारे पानी से यह जीवन की कहानी का अहसास अकेलापन में बह रहा है ।
प्रवीण भी जीवन के संघर्ष में
अपनेपन का अहसास किसी यार में दीदार कर रह है ।
✍ प्रवीण शर्मा
ताल
जिला रतलाम
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