आँख
मानव शरीर का एक एक अंग,मानव को कुछ ना कुछ बतलाता है।
कोई समझ नहीं पाता है उसको,और कोई समझ यह जाता है।।
आज करें हम बात आँंख की, आँखो से क्या हमको मिल जाता है।
प्रभु ने हमको भेजा है जो,संदेश बहुत ही प्यारा आँखो से आता है।।
दुनिया का हर अच्छा और बुरा,हमको आँखो से ही दिखलाता है।
इसी आँख में हे मानव जब भी,एक छोटा सा कण भी चला जो जाता है।। मानव अपनी उसी आँख से, उस कण को देख नहीं पाता है।
पीढ़ा आँख की कण के रहते,मानव सह भी तो नहीं पाता है।।
अपनी आँख के कण को मानव,दूसरे मानव से दूर कराता है।
क्या संदेश दिया है प्रभु ने,मानव को इन आँखो के रस्ते से।
आज विजय बिजनौरी तुमको,प्रभु का दिया वही संदेश बताता है।।
हर मानव गलती करता है क्योंकि, उसको स्वयं वह देख नहीं पाता है।
उसके द्वारा की गई गलती को,उसका कोई अपना ही उसे बताता है।।
मान करो हर उस व्यक्ति का,जो तुम्हें तुम्हारी ही गलती बतलाता है।
मान जो जाता है अपनी गलती,वही सफलता की सीढ़ी चढ़ पाता है।।
विजय बिजनौरी